Jharkhandi lok katha Jhade or khade | झारखंडी लोक कथा झाडे और खाडे

 झारखंडी लोक कथा (jharkhandi lok katha)  मौखिक रूप से पीढ़ी दर पीढ़ी चलते आ रहा है । लोक कथा आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना पहले था हालांकि संचार क्रांति के इस दौर में दादा-दादी या नाना नानी के मुंह से लोक कथा ना सुनकर मनोरंजन करने के उद्देश्य लोग गूगल से पूछ कर लोक कथा सुनने या पढ़ने में रुचि रखते हैं । आज लोक कथा के इस कड़ी में झारखंडी लोक कथा (jharkhandi lok katha)  झाडे और खाडे पढ़ते हैं ।

पहुनई करने  दूसरे गांव जाना

झाडे और खाडे दो व्यक्ति थे जो आपस में घनिष्ठ मित्र थे। दोनों एक दूसरे के बिना नहीं रहते  थे । एक बार की बात है कि दोनों मित्र पहुनई करने किसी दूसरे गांव जा रहे थे। उनका रास्ता एक घने जंगल होकर गुजरता था। उस जंगल में बाघ, भालू, लकड़ा आदि हिंसक जानवर भी रहा करते थे। रास्ते में चलते-चलते  घने जंगल में जा पहुंचे तब कुछ दूर से ही उन्होंने एक बाघ दिखाई  पड़ा और वह इन्हीं लोगों के और दौड़ते हुए आ रहा था । उसे देखकर झाडे झटपट पास ही के एक पेड़ पर चढ़ गया; परंतु बेचारा खाडे न तो कहीं भाग ही सका और न किसी पेड़ पर चढ़ा ही सका। हां, उसने कहीं सुना था कि बाघ किसी मरे हुए व्यक्ति को कुछ नहीं करता है। इसलिए खाडे घबड़ाकर, जिस पेड़ पर झाडे चढ़ बैठा था, उसी (पेड़) के नीचे लेट गया और अपनी आंखें बंद करके उसने इस तरह सांस रोक ली जैसे • वह मर गया हो ! उसे बाघ के बिल्कुल निकट आने की आहट महसूस हो गई थी। बाघ खाडे के निकट आया और उसे सूंघ-सांघकर समझ लिया कि वह  मर गया है। खाडे ने उस बीच अपनी सांस और अधिक रोक रखी थी। बाघ उसे सूंघ-सांघकर वहां से चला गया और उस जंगल में कहीं घुस गया। पेड़ पर बैठा झाडे सारी घटना ऊपर से ही देख रहा था। खाडे के पास से बाघ के चले जाने के बाद झाडे आहिस्ता आहिस्ता पेड़ से नीचे उतरा और खाडे के पास जा पहुंचा। उस बीच खाडे उठ बैठा था और बहुत मायूस दिख रहा था।

झाडे को बाघ द्वारा कान में कुछ कहना 

झाडे ने खाडे से कहा, “भई, मैंने ऊपर से ही देखा कि बाघ तुम्हें सूंघते-सांघते हुए तुम्हारे कान में कुछ कह रहा था। सो, वह क्या बात थी जो उस बाघ ने तुम्हारे कान में  क्या कही ?”

खाडे ने जवाब दिया, ” बाघ ने मेरे कान में यह बात कही की तुम कल इसी स्थान पर अकेले आना मैं तुझे एक बोरा सोने का सिक्का दूंगा । जेड यह बात सुनकर काफी दुखी हुआ कि यह बाघ इसे एक बोरा सोने का सिक्का  देगा । दोनों मित्र वहां से आगे  चल दिए । दोनों रात्रि में विश्राम किया । अचानक रात में झाडे उठ गया और धीरे-धीरे वहां से उसे जंगल की ओर चलने लगा जंगल पहुंचने-पूंकते सुबह हो चुका था। और अब वह उसे स्थान पर पहुंच चुका है जहां खड़े को बाघ ने सोने का सिक्का देने की बात कही थी । झाडे बाघ का इंतजार करने लगा और कुछ समय बाद सचमुच बाघ को आते देखा । वह इस बाघ को देखकर भाग नहीं बल्कि भाग से एक बोरी सोना लेने का आशा देखने लगा लेकिन यह क्या बाघ उसे दबोचा लिया और जान से मार दिया ।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जो मित्र सदा साथ रहता है दुख सुख में सदा साथ देता है वही सच्चा मित्र होता है ऐसे धोखेबाज मित्रों से सावधान रहना चाहिए ।

 

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